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Sample translations submitted: 4
English to Hindi: charles chaplin's speech in Great Dictator
Source text - English I'm sorry, but I don't want to be an Emperor - that's not my business. I don't want to rule or conquer anyone. I should like to help everyone, if possible -- Jew, gentile, black man, white. We all want to help one another; human beings are like that. We want to live by each other's happiness, not by each other's misery. We don't want to hate and despise one another. In this world there's room for everyone and the good earth is rich and can provide for everyone.
The way of life can be free and beautiful.
But we have lost the way.
Greed has poisoned men's souls, has barricaded the world with hate, has goose-stepped us into misery and bloodshed. We have developed speed but we have shut ourselves in. Machinery that gives abundance has left us in want. Our knowledge has made us cynical, our cleverness hard and unkind. We think too much and feel too little. More than machinery, we need humanity. More than cleverness, we need kindness and gentleness. Without these qualities, life will be violent and all will be lost.
The aeroplane and the radio have brought us closer together. The very nature of these inventions cries out for the goodness in men, cries out for universal brotherhood for the unity of us all. Even now my voice is reaching millions throughout the world, millions of despairing men, women, and little children, victims of a system that makes men torture and imprison innocent people.
To those who can hear me I say, "Do not despair." The misery that is now upon us is but the passing of greed, the bitterness of men who fear the way of human progress. The hate of men will pass and dictators die; and the power they took from the people will return to the people and so long as men die, liberty will never perish.
Soldiers: Don't give yourselves to brutes, men who despise you, enslave you, who regiment your lives, tell you what to do, what to think and what to feel; who drill you, diet you, treat you like cattle, use you as cannon fodder. Don't give yourselves to these unnatural men, machine men, with machine minds and machine hearts! You are not machines! You are not cattle! You are men! You have the love of humanity in your hearts. You don't hate; only the unloved hate, the unloved and the unnatural.
Soldiers: Don't fight for slavery! Fight for liberty! In the seventeenth chapter of Saint Luke it is written, "the kingdom of God is within man" -- not one man, nor a group of men, but in all men, in you, you the people have the power, the power to create machines, the power to create happiness. You the people have the power to make this life free and beautiful, to make this life a wonderful adventure.
Then, in the name of democracy, let us use that power! Let us all unite!! Let us fight for a new world, a decent world that will give men a chance to work, that will give you the future and old age a security. By the promise of these things, brutes have risen to power, but they lie! They do not fulfill their promise; they never will. Dictators free themselves, but they enslave the people!! Now, let us fight to fulfill that promise!! Let us fight to free the world, to do away with national barriers, to do away with greed, with hate and intolerance. Let us fight for a world of reason, a world where science and progress will lead to all men's happiness.
Soldiers: In the name of democracy, let us all unite!!!
Hannah, can you hear me? Wherever you are, look up, Hannah. The clouds are lifting. The sun is breaking through. We are coming out of the darkness into the light. We are coming into a new world, a kindlier world, where men will rise above their hate, their greed and brutality.
Look up, Hannah. The soul of man has been given wings, and at last he is beginning to fly. He is flying into the rainbow -- into the light of hope, into the future, the glorious future that belongs to you, to me, and to all of us. Look up, Hannah. Look up.
Translation - Hindi द' डिक्टेटर
का समापन भाषण
'मुझे खेद है, लेकिन मैं शासक नहीं बनना चाहता। ये मेरा काम नहीं है। किसी पर भी राज करना या किसी को जीतना नहीं चाहता। मैं तो किसी की मदद करना चाहूंगा - अगर हो सके तो - यहूदियों की, गैर यहूदियों की - काले लोगों की - गोरे लोगों की।
हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। मानव होते ही ऐसे हैं। हम एक दूसरे की खुशी के साथ जीना चाहते हैं - एक दूसरे की तकलीफ़ों के साथ नहीं। हम एक दूसरे से नफ़रत और घृणा नहीं करना चाहते। इस संसार में सभी के लिए स्थान है और हमारी यह समृद्ध धरती सभी के लिए अन्न जल जुटा सकती है।
'जीवन का रास्ता मुक्त और सुन्दर हो सकता है, लेकिन हम रास्ता भटक गये हैं। लालच ने आदमी की आत्मा को विषाक्त कर दिया है - दुनिया में नफ़रत की दीवारें खड़ी कर दी हैं - लालच ने हमें ज़हालत में, खून खराबे के फंदे में फंसा दिया है। हमने गति का विकास कर लिया लेकिन अपने आपको गति में ही बंद कर दिया है। हमने मशीनें बनायीं, मशीनों ने हमें बहुत कुछ दिया लेकिन हमारी मांगें और बढ़ती चली गयीं। हमारे ज्ञान ने हमें सनकी बना छोड़ा है; हमारी चतुराई ने हमें कठोर और बेरहम बना दिया है। हम बहुत ज्यादा सोचते हैं और बहुत कम महसूस करते हैं। हमें बहुत अधिक मशीनरी की तुलना में मानवीयता की ज्यादा ज़रूरत है। चतुराई की तुलना में हमें दयालुता और विनम्रता की ज़रूरत है। इन गुणों के बिना, जीवन हिंसक हो जायेगा और सब कुछ समाप्त हो जायेगा।
'हवाई जहाज और रेडियो हमें आपस में एक दूसरे के निकट लाये हैं। इन्हीं चीज़ों की प्रकृति ही आज चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है - इन्सान में अच्छाई हो - चिल्ला चिल्ला कर कह रही है - पूरी दुनिया में भाईचारा हो, हम सबमें एकता हो। यहां तक कि इस समय भी मेरी आवाज़ पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंच रही है - लाखों करोड़ों - हताश पुरुष, स्त्रियां, और छोटे छोटे बच्चे - उस तंत्र के शिकार लोग, जो आदमी को क्रूर और अत्याचारी बना देता है और निर्दोष इन्सानों को सींखचों के पीछे डाल देता है। जिन लोगों तक मेरी आवाज़ पहुंच रही है - मैं उनसे कहता हूं - `निराश न हों'। जो मुसीबत हम पर आ पड़ी है, वह कुछ नहीं, लालच का गुज़र जाने वाला दौर है। इन्सान की नफ़रत हमेशा नहीं रहेगी, तानाशाह मौत के हवाले होंगे और जो ताकत उन्होंने जनता से हथियायी है, जनता के पास वापिस पहुंच जायेगी और जब तक इन्सान मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी खत्म नहीं होगी।
'सिपाहियो! अपने आपको इन वहशियों के हाथों में न पड़ने दो - ये आपसे घृणा करते हैं - आपको गुलाम बनाते हैं - जो आपकी ज़िंदगी के फैसले करते हैं - आपको बताते हैं कि आपको क्या करना चाहिए - क्या सोचना चाहिए और क्या महसूस करना चाहिए! जो आपसे मशक्कत करवाते हैं - आपको भूखा रखते हैं - आपके साथ मवेशियों का-सा बरताव करते हैं और आपको तोपों के चारे की तरह इस्तेमाल करते हैं - अपने आपको इन अप्राकृतिक मनुष्यों, मशीनी मानवों के हाथों गुलाम मत बनने दो, जिनके दिमाग मशीनी हैं और जिनके दिल मशीनी हैं! आप मशीनें नहीं हैं! आप इन्सान हैं! आपके दिल में मानवता के प्यार का सागर हिलोरें ले रहा है। घृणा मत करो! सिर्फ़ वही घृणा करते हैं जिन्हें प्यार नहीं मिलता - प्यार न पाने वाले और अप्राकृतिक!!
'सिपाहियो! गुलामी के लिए मत लड़ो! आज़ादी के लिए लड़ो! सेंट ल्यूक के सत्रहवें अध्याय में यह लिखा है कि ईश्वर का साम्राज्य मनुष्य के भीतर होता है - सिर्फ़ एक आदमी के भीतर नहीं, न ही आदमियों के किसी समूह में ही अपितु सभी मनुष्यों में ईश्वर वास करता है! आप में! आप में, आप सब व्यक्तियों के पास ताकत है - मशीनें बनाने की ताकत। खुशियां पैदा करने की ताकत! आप, आप लोगों में इस जीवन को शानदार रोमांचक गतिविधि में बदलने की ताकत है। तो - लोकतंत्र के नाम पर - आइए, हम ताकत का इस्तेमाल करें - आइए, हम सब एक हो जायें। आइए, हम सब एक नयी दुनिया के लिए संघर्ष करें। एक ऐसी बेहतरीन दुनिया, जहां सभी व्यक्तियों को काम करने का मौका मिलेगा। इस नयी दुनिया में युवा वर्ग को भविष्य और वृद्धों को सुरक्षा मिलेगी।
'इन्हीं चीज़ों का वायदा करके वहशियों ने ताकत हथिया ली है। लेकिन वे झूठ बोलते हैं! वे उस वायदे को पूरा नहीं करते। वे कभी करेंगे भी नहीं! तानाशाह अपने आपको आज़ाद कर लेते हैं लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं। आइए, दुनिया को आज़ाद कराने के लिए लड़ें - राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़ डालें - लालच को खत्म कर डालें, नफ़रत को दफ़न करें और असहनशक्ति को कुचल दें। आइये, हम तर्क की दुनिया के लिए संघर्ष करें - एक ऐसी दुनिया के लिए, जहां पर विज्ञान और प्रगति इन सबकों खुशियों की तरफ ले जायेगी, लोकतंत्र के नाम पर आइए, हम एक जुट हो जायें!
हान्नाह! क्या आप मुझे सुन रही हैं?
आप जहां कहीं भी हैं, मेरी तरफ देखें! देखें, हान्नाह! बादल बढ़ रहे हैं! उनमें सूर्य झाँक रहा है! हम इस अंधेरे में से निकल कर प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं! हम एक नयी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं - अधिक दयालु दुनिया, जहाँ आदमी अपनी लालच से ऊपर उठ जायेगा, अपनी नफ़रत और अपनी पाशविकता को त्याग देगा। देखो हान्नाह! मनुष्य की आत्मा को पंख दे दिये गये हैं और अंतत: ऐसा समय आ ही गया है जब वह आकाश में उड़ना शुरू कर रहा है। वह इन्द्रधनुष में उड़ने जा रहा है। वह आशा के आलोक में उड़ रहा है। देखो हान्नाह! देखो!'
English to Hindi: charles chaplin speech in great dictator
Source text - English I'm sorry, but I don't want to be an Emperor - that's not my business. I don't want to rule or conquer anyone. I should like to help everyone, if possible -- Jew, gentile, black man, white. We all want to help one another; human beings are like that. We want to live by each other's happiness, not by each other's misery. We don't want to hate and despise one another. In this world there's room for everyone and the good earth is rich and can provide for everyone.
The way of life can be free and beautiful.
But we have lost the way.
Greed has poisoned men's souls, has barricaded the world with hate, has goose-stepped us into misery and bloodshed. We have developed speed but we have shut ourselves in. Machinery that gives abundance has left us in want. Our knowledge has made us cynical, our cleverness hard and unkind. We think too much and feel too little. More than machinery, we need humanity. More than cleverness, we need kindness and gentleness. Without these qualities, life will be violent and all will be lost.
The aeroplane and the radio have brought us closer together. The very nature of these inventions cries out for the goodness in men, cries out for universal brotherhood for the unity of us all. Even now my voice is reaching millions throughout the world, millions of despairing men, women, and little children, victims of a system that makes men torture and imprison innocent people.
To those who can hear me I say, "Do not despair." The misery that is now upon us is but the passing of greed, the bitterness of men who fear the way of human progress. The hate of men will pass and dictators die; and the power they took from the people will return to the people and so long as men die, liberty will never perish.
Soldiers: Don't give yourselves to brutes, men who despise you, enslave you, who regiment your lives, tell you what to do, what to think and what to feel; who drill you, diet you, treat you like cattle, use you as cannon fodder. Don't give yourselves to these unnatural men, machine men, with machine minds and machine hearts! You are not machines! You are not cattle! You are men! You have the love of humanity in your hearts. You don't hate; only the unloved hate, the unloved and the unnatural.
Soldiers: Don't fight for slavery! Fight for liberty! In the seventeenth chapter of Saint Luke it is written, "the kingdom of God is within man" -- not one man, nor a group of men, but in all men, in you, you the people have the power, the power to create machines, the power to create happiness. You the people have the power to make this life free and beautiful, to make this life a wonderful adventure.
Then, in the name of democracy, let us use that power! Let us all unite!! Let us fight for a new world, a decent world that will give men a chance to work, that will give you the future and old age a security. By the promise of these things, brutes have risen to power, but they lie! They do not fulfill their promise; they never will. Dictators free themselves, but they enslave the people!! Now, let us fight to fulfill that promise!! Let us fight to free the world, to do away with national barriers, to do away with greed, with hate and intolerance. Let us fight for a world of reason, a world where science and progress will lead to all men's happiness.
Soldiers: In the name of democracy, let us all unite!!!
Hannah, can you hear me? Wherever you are, look up, Hannah. The clouds are lifting. The sun is breaking through. We are coming out of the darkness into the light. We are coming into a new world, a kindlier world, where men will rise above their hate, their greed and brutality.
Look up, Hannah. The soul of man has been given wings, and at last he is beginning to fly. He is flying into the rainbow -- into the light of hope, into the future, the glorious future that belongs to you, to me, and to all of us. Look up, Hannah. Look up.
Translation - Hindi द' डिक्टेटर
का समापन भाषण
'मुझे खेद है, लेकिन मैं शासक नहीं बनना चाहता। ये मेरा काम नहीं है। किसी पर भी राज करना या किसी को जीतना नहीं चाहता। मैं तो किसी की मदद करना चाहूंगा - अगर हो सके तो - यहूदियों की, गैर यहूदियों की - काले लोगों की - गोरे लोगों की।
हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। मानव होते ही ऐसे हैं। हम एक दूसरे की खुशी के साथ जीना चाहते हैं - एक दूसरे की तकलीफ़ों के साथ नहीं। हम एक दूसरे से नफ़रत और घृणा नहीं करना चाहते। इस संसार में सभी के लिए स्थान है और हमारी यह समृद्ध धरती सभी के लिए अन्न जल जुटा सकती है।
'जीवन का रास्ता मुक्त और सुन्दर हो सकता है, लेकिन हम रास्ता भटक गये हैं। लालच ने आदमी की आत्मा को विषाक्त कर दिया है - दुनिया में नफ़रत की दीवारें खड़ी कर दी हैं - लालच ने हमें ज़हालत में, खून खराबे के फंदे में फंसा दिया है। हमने गति का विकास कर लिया लेकिन अपने आपको गति में ही बंद कर दिया है। हमने मशीनें बनायीं, मशीनों ने हमें बहुत कुछ दिया लेकिन हमारी मांगें और बढ़ती चली गयीं। हमारे ज्ञान ने हमें सनकी बना छोड़ा है; हमारी चतुराई ने हमें कठोर और बेरहम बना दिया है। हम बहुत ज्यादा सोचते हैं और बहुत कम महसूस करते हैं। हमें बहुत अधिक मशीनरी की तुलना में मानवीयता की ज्यादा ज़रूरत है। चतुराई की तुलना में हमें दयालुता और विनम्रता की ज़रूरत है। इन गुणों के बिना, जीवन हिंसक हो जायेगा और सब कुछ समाप्त हो जायेगा।
'हवाई जहाज और रेडियो हमें आपस में एक दूसरे के निकट लाये हैं। इन्हीं चीज़ों की प्रकृति ही आज चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है - इन्सान में अच्छाई हो - चिल्ला चिल्ला कर कह रही है - पूरी दुनिया में भाईचारा हो, हम सबमें एकता हो। यहां तक कि इस समय भी मेरी आवाज़ पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंच रही है - लाखों करोड़ों - हताश पुरुष, स्त्रियां, और छोटे छोटे बच्चे - उस तंत्र के शिकार लोग, जो आदमी को क्रूर और अत्याचारी बना देता है और निर्दोष इन्सानों को सींखचों के पीछे डाल देता है। जिन लोगों तक मेरी आवाज़ पहुंच रही है - मैं उनसे कहता हूं - `निराश न हों'। जो मुसीबत हम पर आ पड़ी है, वह कुछ नहीं, लालच का गुज़र जाने वाला दौर है। इन्सान की नफ़रत हमेशा नहीं रहेगी, तानाशाह मौत के हवाले होंगे और जो ताकत उन्होंने जनता से हथियायी है, जनता के पास वापिस पहुंच जायेगी और जब तक इन्सान मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी खत्म नहीं होगी।
'सिपाहियो! अपने आपको इन वहशियों के हाथों में न पड़ने दो - ये आपसे घृणा करते हैं - आपको गुलाम बनाते हैं - जो आपकी ज़िंदगी के फैसले करते हैं - आपको बताते हैं कि आपको क्या करना चाहिए - क्या सोचना चाहिए और क्या महसूस करना चाहिए! जो आपसे मशक्कत करवाते हैं - आपको भूखा रखते हैं - आपके साथ मवेशियों का-सा बरताव करते हैं और आपको तोपों के चारे की तरह इस्तेमाल करते हैं - अपने आपको इन अप्राकृतिक मनुष्यों, मशीनी मानवों के हाथों गुलाम मत बनने दो, जिनके दिमाग मशीनी हैं और जिनके दिल मशीनी हैं! आप मशीनें नहीं हैं! आप इन्सान हैं! आपके दिल में मानवता के प्यार का सागर हिलोरें ले रहा है। घृणा मत करो! सिर्फ़ वही घृणा करते हैं जिन्हें प्यार नहीं मिलता - प्यार न पाने वाले और अप्राकृतिक!!
'सिपाहियो! गुलामी के लिए मत लड़ो! आज़ादी के लिए लड़ो! सेंट ल्यूक के सत्रहवें अध्याय में यह लिखा है कि ईश्वर का साम्राज्य मनुष्य के भीतर होता है - सिर्फ़ एक आदमी के भीतर नहीं, न ही आदमियों के किसी समूह में ही अपितु सभी मनुष्यों में ईश्वर वास करता है! आप में! आप में, आप सब व्यक्तियों के पास ताकत है - मशीनें बनाने की ताकत। खुशियां पैदा करने की ताकत! आप, आप लोगों में इस जीवन को शानदार रोमांचक गतिविधि में बदलने की ताकत है। तो - लोकतंत्र के नाम पर - आइए, हम ताकत का इस्तेमाल करें - आइए, हम सब एक हो जायें। आइए, हम सब एक नयी दुनिया के लिए संघर्ष करें। एक ऐसी बेहतरीन दुनिया, जहां सभी व्यक्तियों को काम करने का मौका मिलेगा। इस नयी दुनिया में युवा वर्ग को भविष्य और वृद्धों को सुरक्षा मिलेगी।
'इन्हीं चीज़ों का वायदा करके वहशियों ने ताकत हथिया ली है। लेकिन वे झूठ बोलते हैं! वे उस वायदे को पूरा नहीं करते। वे कभी करेंगे भी नहीं! तानाशाह अपने आपको आज़ाद कर लेते हैं लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं। आइए, दुनिया को आज़ाद कराने के लिए लड़ें - राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़ डालें - लालच को खत्म कर डालें, नफ़रत को दफ़न करें और असहनशक्ति को कुचल दें। आइये, हम तर्क की दुनिया के लिए संघर्ष करें - एक ऐसी दुनिया के लिए, जहां पर विज्ञान और प्रगति इन सबकों खुशियों की तरफ ले जायेगी, लोकतंत्र के नाम पर आइए, हम एक जुट हो जायें!
हान्नाह! क्या आप मुझे सुन रही हैं?
आप जहां कहीं भी हैं, मेरी तरफ देखें! देखें, हान्नाह! बादल बढ़ रहे हैं! उनमें सूर्य झाँक रहा है! हम इस अंधेरे में से निकल कर प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं! हम एक नयी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं - अधिक दयालु दुनिया, जहाँ आदमी अपनी लालच से ऊपर उठ जायेगा, अपनी नफ़रत और अपनी पाशविकता को त्याग देगा। देखो हान्नाह! मनुष्य की आत्मा को पंख दे दिये गये हैं और अंतत: ऐसा समय आ ही गया है जब वह आकाश में उड़ना शुरू कर रहा है। वह इन्द्रधनुष में उड़ने जा रहा है। वह आशा के आलोक में उड़ रहा है। देखो हान्नाह! देखो!'
English to Hindi: charles chaplin speech in great dictator
Source text - English I'm sorry, but I don't want to be an Emperor - that's not my business. I don't want to rule or conquer anyone. I should like to help everyone, if possible -- Jew, gentile, black man, white. We all want to help one another; human beings are like that. We want to live by each other's happiness, not by each other's misery. We don't want to hate and despise one another. In this world there's room for everyone and the good earth is rich and can provide for everyone.
The way of life can be free and beautiful.
But we have lost the way.
Greed has poisoned men's souls, has barricaded the world with hate, has goose-stepped us into misery and bloodshed. We have developed speed but we have shut ourselves in. Machinery that gives abundance has left us in want. Our knowledge has made us cynical, our cleverness hard and unkind. We think too much and feel too little. More than machinery, we need humanity. More than cleverness, we need kindness and gentleness. Without these qualities, life will be violent and all will be lost.
The aeroplane and the radio have brought us closer together. The very nature of these inventions cries out for the goodness in men, cries out for universal brotherhood for the unity of us all. Even now my voice is reaching millions throughout the world, millions of despairing men, women, and little children, victims of a system that makes men torture and imprison innocent people.
To those who can hear me I say, "Do not despair." The misery that is now upon us is but the passing of greed, the bitterness of men who fear the way of human progress. The hate of men will pass and dictators die; and the power they took from the people will return to the people and so long as men die, liberty will never perish.
Soldiers: Don't give yourselves to brutes, men who despise you, enslave you, who regiment your lives, tell you what to do, what to think and what to feel; who drill you, diet you, treat you like cattle, use you as cannon fodder. Don't give yourselves to these unnatural men, machine men, with machine minds and machine hearts! You are not machines! You are not cattle! You are men! You have the love of humanity in your hearts. You don't hate; only the unloved hate, the unloved and the unnatural.
Soldiers: Don't fight for slavery! Fight for liberty! In the seventeenth chapter of Saint Luke it is written, "the kingdom of God is within man" -- not one man, nor a group of men, but in all men, in you, you the people have the power, the power to create machines, the power to create happiness. You the people have the power to make this life free and beautiful, to make this life a wonderful adventure.
Then, in the name of democracy, let us use that power! Let us all unite!! Let us fight for a new world, a decent world that will give men a chance to work, that will give you the future and old age a security. By the promise of these things, brutes have risen to power, but they lie! They do not fulfill their promise; they never will. Dictators free themselves, but they enslave the people!! Now, let us fight to fulfill that promise!! Let us fight to free the world, to do away with national barriers, to do away with greed, with hate and intolerance. Let us fight for a world of reason, a world where science and progress will lead to all men's happiness.
Soldiers: In the name of democracy, let us all unite!!!
Hannah, can you hear me? Wherever you are, look up, Hannah. The clouds are lifting. The sun is breaking through. We are coming out of the darkness into the light. We are coming into a new world, a kindlier world, where men will rise above their hate, their greed and brutality.
Look up, Hannah. The soul of man has been given wings, and at last he is beginning to fly. He is flying into the rainbow -- into the light of hope, into the future, the glorious future that belongs to you, to me, and to all of us. Look up, Hannah. Look up.
Translation - Hindi द' डिक्टेटर
का समापन भाषण
'मुझे खेद है, लेकिन मैं शासक नहीं बनना चाहता। ये मेरा काम नहीं है। किसी पर भी राज करना या किसी को जीतना नहीं चाहता। मैं तो किसी की मदद करना चाहूंगा - अगर हो सके तो - यहूदियों की, गैर यहूदियों की - काले लोगों की - गोरे लोगों की।
हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। मानव होते ही ऐसे हैं। हम एक दूसरे की खुशी के साथ जीना चाहते हैं - एक दूसरे की तकलीफ़ों के साथ नहीं। हम एक दूसरे से नफ़रत और घृणा नहीं करना चाहते। इस संसार में सभी के लिए स्थान है और हमारी यह समृद्ध धरती सभी के लिए अन्न जल जुटा सकती है।
'जीवन का रास्ता मुक्त और सुन्दर हो सकता है, लेकिन हम रास्ता भटक गये हैं। लालच ने आदमी की आत्मा को विषाक्त कर दिया है - दुनिया में नफ़रत की दीवारें खड़ी कर दी हैं - लालच ने हमें ज़हालत में, खून खराबे के फंदे में फंसा दिया है। हमने गति का विकास कर लिया लेकिन अपने आपको गति में ही बंद कर दिया है। हमने मशीनें बनायीं, मशीनों ने हमें बहुत कुछ दिया लेकिन हमारी मांगें और बढ़ती चली गयीं। हमारे ज्ञान ने हमें सनकी बना छोड़ा है; हमारी चतुराई ने हमें कठोर और बेरहम बना दिया है। हम बहुत ज्यादा सोचते हैं और बहुत कम महसूस करते हैं। हमें बहुत अधिक मशीनरी की तुलना में मानवीयता की ज्यादा ज़रूरत है। चतुराई की तुलना में हमें दयालुता और विनम्रता की ज़रूरत है। इन गुणों के बिना, जीवन हिंसक हो जायेगा और सब कुछ समाप्त हो जायेगा।
'हवाई जहाज और रेडियो हमें आपस में एक दूसरे के निकट लाये हैं। इन्हीं चीज़ों की प्रकृति ही आज चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है - इन्सान में अच्छाई हो - चिल्ला चिल्ला कर कह रही है - पूरी दुनिया में भाईचारा हो, हम सबमें एकता हो। यहां तक कि इस समय भी मेरी आवाज़ पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंच रही है - लाखों करोड़ों - हताश पुरुष, स्त्रियां, और छोटे छोटे बच्चे - उस तंत्र के शिकार लोग, जो आदमी को क्रूर और अत्याचारी बना देता है और निर्दोष इन्सानों को सींखचों के पीछे डाल देता है। जिन लोगों तक मेरी आवाज़ पहुंच रही है - मैं उनसे कहता हूं - `निराश न हों'। जो मुसीबत हम पर आ पड़ी है, वह कुछ नहीं, लालच का गुज़र जाने वाला दौर है। इन्सान की नफ़रत हमेशा नहीं रहेगी, तानाशाह मौत के हवाले होंगे और जो ताकत उन्होंने जनता से हथियायी है, जनता के पास वापिस पहुंच जायेगी और जब तक इन्सान मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी खत्म नहीं होगी।
'सिपाहियो! अपने आपको इन वहशियों के हाथों में न पड़ने दो - ये आपसे घृणा करते हैं - आपको गुलाम बनाते हैं - जो आपकी ज़िंदगी के फैसले करते हैं - आपको बताते हैं कि आपको क्या करना चाहिए - क्या सोचना चाहिए और क्या महसूस करना चाहिए! जो आपसे मशक्कत करवाते हैं - आपको भूखा रखते हैं - आपके साथ मवेशियों का-सा बरताव करते हैं और आपको तोपों के चारे की तरह इस्तेमाल करते हैं - अपने आपको इन अप्राकृतिक मनुष्यों, मशीनी मानवों के हाथों गुलाम मत बनने दो, जिनके दिमाग मशीनी हैं और जिनके दिल मशीनी हैं! आप मशीनें नहीं हैं! आप इन्सान हैं! आपके दिल में मानवता के प्यार का सागर हिलोरें ले रहा है। घृणा मत करो! सिर्फ़ वही घृणा करते हैं जिन्हें प्यार नहीं मिलता - प्यार न पाने वाले और अप्राकृतिक!!
'सिपाहियो! गुलामी के लिए मत लड़ो! आज़ादी के लिए लड़ो! सेंट ल्यूक के सत्रहवें अध्याय में यह लिखा है कि ईश्वर का साम्राज्य मनुष्य के भीतर होता है - सिर्फ़ एक आदमी के भीतर नहीं, न ही आदमियों के किसी समूह में ही अपितु सभी मनुष्यों में ईश्वर वास करता है! आप में! आप में, आप सब व्यक्तियों के पास ताकत है - मशीनें बनाने की ताकत। खुशियां पैदा करने की ताकत! आप, आप लोगों में इस जीवन को शानदार रोमांचक गतिविधि में बदलने की ताकत है। तो - लोकतंत्र के नाम पर - आइए, हम ताकत का इस्तेमाल करें - आइए, हम सब एक हो जायें। आइए, हम सब एक नयी दुनिया के लिए संघर्ष करें। एक ऐसी बेहतरीन दुनिया, जहां सभी व्यक्तियों को काम करने का मौका मिलेगा। इस नयी दुनिया में युवा वर्ग को भविष्य और वृद्धों को सुरक्षा मिलेगी।
'इन्हीं चीज़ों का वायदा करके वहशियों ने ताकत हथिया ली है। लेकिन वे झूठ बोलते हैं! वे उस वायदे को पूरा नहीं करते। वे कभी करेंगे भी नहीं! तानाशाह अपने आपको आज़ाद कर लेते हैं लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं। आइए, दुनिया को आज़ाद कराने के लिए लड़ें - राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़ डालें - लालच को खत्म कर डालें, नफ़रत को दफ़न करें और असहनशक्ति को कुचल दें। आइये, हम तर्क की दुनिया के लिए संघर्ष करें - एक ऐसी दुनिया के लिए, जहां पर विज्ञान और प्रगति इन सबकों खुशियों की तरफ ले जायेगी, लोकतंत्र के नाम पर आइए, हम एक जुट हो जायें!
हान्नाह! क्या आप मुझे सुन रही हैं?
आप जहां कहीं भी हैं, मेरी तरफ देखें! देखें, हान्नाह! बादल बढ़ रहे हैं! उनमें सूर्य झाँक रहा है! हम इस अंधेरे में से निकल कर प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं! हम एक नयी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं - अधिक दयालु दुनिया, जहाँ आदमी अपनी लालच से ऊपर उठ जायेगा, अपनी नफ़रत और अपनी पाशविकता को त्याग देगा। देखो हान्नाह! मनुष्य की आत्मा को पंख दे दिये गये हैं और अंतत: ऐसा समय आ ही गया है जब वह आकाश में उड़ना शुरू कर रहा है। वह इन्द्रधनुष में उड़ने जा रहा है। वह आशा के आलोक में उड़ रहा है। देखो हान्नाह! देखो!'
English to Hindi: charles chaplin speech in great dictator
Source text - English I'm sorry, but I don't want to be an Emperor - that's not my business. I don't want to rule or conquer anyone. I should like to help everyone, if possible -- Jew, gentile, black man, white. We all want to help one another; human beings are like that. We want to live by each other's happiness, not by each other's misery. We don't want to hate and despise one another. In this world there's room for everyone and the good earth is rich and can provide for everyone.
The way of life can be free and beautiful.
But we have lost the way.
Greed has poisoned men's souls, has barricaded the world with hate, has goose-stepped us into misery and bloodshed. We have developed speed but we have shut ourselves in. Machinery that gives abundance has left us in want. Our knowledge has made us cynical, our cleverness hard and unkind. We think too much and feel too little. More than machinery, we need humanity. More than cleverness, we need kindness and gentleness. Without these qualities, life will be violent and all will be lost.
The aeroplane and the radio have brought us closer together. The very nature of these inventions cries out for the goodness in men, cries out for universal brotherhood for the unity of us all. Even now my voice is reaching millions throughout the world, millions of despairing men, women, and little children, victims of a system that makes men torture and imprison innocent people.
To those who can hear me I say, "Do not despair." The misery that is now upon us is but the passing of greed, the bitterness of men who fear the way of human progress. The hate of men will pass and dictators die; and the power they took from the people will return to the people and so long as men die, liberty will never perish.
Soldiers: Don't give yourselves to brutes, men who despise you, enslave you, who regiment your lives, tell you what to do, what to think and what to feel; who drill you, diet you, treat you like cattle, use you as cannon fodder. Don't give yourselves to these unnatural men, machine men, with machine minds and machine hearts! You are not machines! You are not cattle! You are men! You have the love of humanity in your hearts. You don't hate; only the unloved hate, the unloved and the unnatural.
Soldiers: Don't fight for slavery! Fight for liberty! In the seventeenth chapter of Saint Luke it is written, "the kingdom of God is within man" -- not one man, nor a group of men, but in all men, in you, you the people have the power, the power to create machines, the power to create happiness. You the people have the power to make this life free and beautiful, to make this life a wonderful adventure.
Then, in the name of democracy, let us use that power! Let us all unite!! Let us fight for a new world, a decent world that will give men a chance to work, that will give you the future and old age a security. By the promise of these things, brutes have risen to power, but they lie! They do not fulfill their promise; they never will. Dictators free themselves, but they enslave the people!! Now, let us fight to fulfill that promise!! Let us fight to free the world, to do away with national barriers, to do away with greed, with hate and intolerance. Let us fight for a world of reason, a world where science and progress will lead to all men's happiness.
Soldiers: In the name of democracy, let us all unite!!!
Hannah, can you hear me? Wherever you are, look up, Hannah. The clouds are lifting. The sun is breaking through. We are coming out of the darkness into the light. We are coming into a new world, a kindlier world, where men will rise above their hate, their greed and brutality.
Look up, Hannah. The soul of man has been given wings, and at last he is beginning to fly. He is flying into the rainbow -- into the light of hope, into the future, the glorious future that belongs to you, to me, and to all of us. Look up, Hannah. Look up.
Translation - Hindi द' डिक्टेटर
का समापन भाषण
'मुझे खेद है, लेकिन मैं शासक नहीं बनना चाहता। ये मेरा काम नहीं है। किसी पर भी राज करना या किसी को जीतना नहीं चाहता। मैं तो किसी की मदद करना चाहूंगा - अगर हो सके तो - यहूदियों की, गैर यहूदियों की - काले लोगों की - गोरे लोगों की।
हम सब एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। मानव होते ही ऐसे हैं। हम एक दूसरे की खुशी के साथ जीना चाहते हैं - एक दूसरे की तकलीफ़ों के साथ नहीं। हम एक दूसरे से नफ़रत और घृणा नहीं करना चाहते। इस संसार में सभी के लिए स्थान है और हमारी यह समृद्ध धरती सभी के लिए अन्न जल जुटा सकती है।
'जीवन का रास्ता मुक्त और सुन्दर हो सकता है, लेकिन हम रास्ता भटक गये हैं। लालच ने आदमी की आत्मा को विषाक्त कर दिया है - दुनिया में नफ़रत की दीवारें खड़ी कर दी हैं - लालच ने हमें ज़हालत में, खून खराबे के फंदे में फंसा दिया है। हमने गति का विकास कर लिया लेकिन अपने आपको गति में ही बंद कर दिया है। हमने मशीनें बनायीं, मशीनों ने हमें बहुत कुछ दिया लेकिन हमारी मांगें और बढ़ती चली गयीं। हमारे ज्ञान ने हमें सनकी बना छोड़ा है; हमारी चतुराई ने हमें कठोर और बेरहम बना दिया है। हम बहुत ज्यादा सोचते हैं और बहुत कम महसूस करते हैं। हमें बहुत अधिक मशीनरी की तुलना में मानवीयता की ज्यादा ज़रूरत है। चतुराई की तुलना में हमें दयालुता और विनम्रता की ज़रूरत है। इन गुणों के बिना, जीवन हिंसक हो जायेगा और सब कुछ समाप्त हो जायेगा।
'हवाई जहाज और रेडियो हमें आपस में एक दूसरे के निकट लाये हैं। इन्हीं चीज़ों की प्रकृति ही आज चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है - इन्सान में अच्छाई हो - चिल्ला चिल्ला कर कह रही है - पूरी दुनिया में भाईचारा हो, हम सबमें एकता हो। यहां तक कि इस समय भी मेरी आवाज़ पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंच रही है - लाखों करोड़ों - हताश पुरुष, स्त्रियां, और छोटे छोटे बच्चे - उस तंत्र के शिकार लोग, जो आदमी को क्रूर और अत्याचारी बना देता है और निर्दोष इन्सानों को सींखचों के पीछे डाल देता है। जिन लोगों तक मेरी आवाज़ पहुंच रही है - मैं उनसे कहता हूं - `निराश न हों'। जो मुसीबत हम पर आ पड़ी है, वह कुछ नहीं, लालच का गुज़र जाने वाला दौर है। इन्सान की नफ़रत हमेशा नहीं रहेगी, तानाशाह मौत के हवाले होंगे और जो ताकत उन्होंने जनता से हथियायी है, जनता के पास वापिस पहुंच जायेगी और जब तक इन्सान मरते रहेंगे, स्वतंत्रता कभी खत्म नहीं होगी।
'सिपाहियो! अपने आपको इन वहशियों के हाथों में न पड़ने दो - ये आपसे घृणा करते हैं - आपको गुलाम बनाते हैं - जो आपकी ज़िंदगी के फैसले करते हैं - आपको बताते हैं कि आपको क्या करना चाहिए - क्या सोचना चाहिए और क्या महसूस करना चाहिए! जो आपसे मशक्कत करवाते हैं - आपको भूखा रखते हैं - आपके साथ मवेशियों का-सा बरताव करते हैं और आपको तोपों के चारे की तरह इस्तेमाल करते हैं - अपने आपको इन अप्राकृतिक मनुष्यों, मशीनी मानवों के हाथों गुलाम मत बनने दो, जिनके दिमाग मशीनी हैं और जिनके दिल मशीनी हैं! आप मशीनें नहीं हैं! आप इन्सान हैं! आपके दिल में मानवता के प्यार का सागर हिलोरें ले रहा है। घृणा मत करो! सिर्फ़ वही घृणा करते हैं जिन्हें प्यार नहीं मिलता - प्यार न पाने वाले और अप्राकृतिक!!
'सिपाहियो! गुलामी के लिए मत लड़ो! आज़ादी के लिए लड़ो! सेंट ल्यूक के सत्रहवें अध्याय में यह लिखा है कि ईश्वर का साम्राज्य मनुष्य के भीतर होता है - सिर्फ़ एक आदमी के भीतर नहीं, न ही आदमियों के किसी समूह में ही अपितु सभी मनुष्यों में ईश्वर वास करता है! आप में! आप में, आप सब व्यक्तियों के पास ताकत है - मशीनें बनाने की ताकत। खुशियां पैदा करने की ताकत! आप, आप लोगों में इस जीवन को शानदार रोमांचक गतिविधि में बदलने की ताकत है। तो - लोकतंत्र के नाम पर - आइए, हम ताकत का इस्तेमाल करें - आइए, हम सब एक हो जायें। आइए, हम सब एक नयी दुनिया के लिए संघर्ष करें। एक ऐसी बेहतरीन दुनिया, जहां सभी व्यक्तियों को काम करने का मौका मिलेगा। इस नयी दुनिया में युवा वर्ग को भविष्य और वृद्धों को सुरक्षा मिलेगी।
'इन्हीं चीज़ों का वायदा करके वहशियों ने ताकत हथिया ली है। लेकिन वे झूठ बोलते हैं! वे उस वायदे को पूरा नहीं करते। वे कभी करेंगे भी नहीं! तानाशाह अपने आपको आज़ाद कर लेते हैं लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं। आइए, दुनिया को आज़ाद कराने के लिए लड़ें - राष्ट्रीय सीमाओं को तोड़ डालें - लालच को खत्म कर डालें, नफ़रत को दफ़न करें और असहनशक्ति को कुचल दें। आइये, हम तर्क की दुनिया के लिए संघर्ष करें - एक ऐसी दुनिया के लिए, जहां पर विज्ञान और प्रगति इन सबकों खुशियों की तरफ ले जायेगी, लोकतंत्र के नाम पर आइए, हम एक जुट हो जायें!
हान्नाह! क्या आप मुझे सुन रही हैं?
आप जहां कहीं भी हैं, मेरी तरफ देखें! देखें, हान्नाह! बादल बढ़ रहे हैं! उनमें सूर्य झाँक रहा है! हम इस अंधेरे में से निकल कर प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं! हम एक नयी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं - अधिक दयालु दुनिया, जहाँ आदमी अपनी लालच से ऊपर उठ जायेगा, अपनी नफ़रत और अपनी पाशविकता को त्याग देगा। देखो हान्नाह! मनुष्य की आत्मा को पंख दे दिये गये हैं और अंतत: ऐसा समय आ ही गया है जब वह आकाश में उड़ना शुरू कर रहा है। वह इन्द्रधनुष में उड़ने जा रहा है। वह आशा के आलोक में उड़ रहा है। देखो हान्नाह! देखो!'
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Years of experience: 47. Registered at ProZ.com: Apr 2007.
I am basically a literary translator but have translated scores of banking journals, reports and other types of items. I have translated hundreds of stories, number of books etc,. I have translated Autobiography of Charles Chaplin and other literary work of masters. Have translated for TV Channels like Discovery. Have contributed translated articles to reputed journals. I have also penned four novels and around fify stories in Hindi and have been awarded national level awards.
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