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Translation - Hindi हटमाला के उस पार
पात्र: बेचाराम, केनाराम, एक, दो, तीन, चार, पाँच,छः, डॉक्टर
कुत्तों के भौकने की आवाज़ें, कोलाहल, ‘चोर! चोर! पकड़ो’ की आवाज़ें. दो चोर केनाराम और बेचाराम भयभीत होकर भाग रहे है. दोनो एक कोने में छुप जाते है. चार गाँव वाले उनका पीछा करते हुए आते है.
एक: किस तरफ़ गए वो?
दो: वो इस तरफ़ आए थे.
तीन: पक्का?
चार: शायद उस तरफ गए है.
एक: नहीं, नहीं, इस तरफ.
दो: मूर्ख मत बनो. मुझे तो उस तरफ जाते दिखे थे.
तीन: (चोरों को देख लेता है) अरे वो रहे.
(चारों गाँव वाले चोरों का पीछा करते हैं. अफ़रा तफ़री में सब गिर जाते हैं. केनाराम और बेचाराम इस बीच मौका देख बच निकलते हैं. गाँव वाले उठ कर फिर से ‘चोर! चोर!’ चिल्लाते हुए उनके पीछे भागते हैं)
बेचा: चाचू अब हम कहाँ जायें?
केना: उस गौशाला में, जल्दी.
(दोनो गायों के बीच आ जाते है)
बेचा: बोला था ना ज़मींदार के घर चोरी नहीं करना, बोला था की नहीं?
बेचा: (गुस्से में मुँह बनाते हुए) तो फिर किसके घर में अपनी खंटी को आज़माता? उस दुख़ीराम बगड़ी की छप्पर वाली झोंपड़ी में?
बेचा: पर शिकारी कुत्तों वाले घर में तो नहीं करना था ना?
केना: अब मुझे क्या पता था की ज़मींदार के घर में शिकारी कुत्ते हैं, तुझे पता था क्या?
बेचा: (थोड़ी देर के बाद)। चाचू, कम से भी कम हज़ार मच्छर होंगे यहाँ पर.
केना: तो गौशाला में क्या परियाँ उड़ेंगी?
बेचा: ये मच्छर तो मुझे मार ही ड़ालेंगे!
केना: तो मच्छरदानी लगा ले! या फिर खा जा इन को.
बेचा: किस बात पर इतना ग़ुस्सा हो रहे हो चाचू.
केना: मेरा लिवर, बेवकूफ!
बेचा: उफ! (बाँह पर बैठे एक मच्छर को दूसरे हाथ से छपाक से मारता है) आवाज से गायें रम्भाने लगती हैं.
केना: बेवकूफ! तूने कर ही दिया. इधर, इधर, श्श्श्श.
(पाँच, एक ग्रहणी हाथ में लालटेन लिए हुए आती है)
पाँच: कौन मर गया! ये गायें इतनी रात को क्यों रम्भाने लगी? यहाँ पर, श्श्श्श! श्श्श्श! (दोनो को देखते ही उसकी आँखे खुली रह जाती हैं) चो-चो-चोर.
(दोनो उछल कर भागते हैं और एक कोने में छुप जाते हैं. चारों गाँव वाले ‘चोर चोर’ चिल्लाते हुए आते हैं और एक गोल घेरा बना कर घूमने लगते हैं, जैसे की चोर को दूँढ़ रहे हों. पाँच जा चुकी है. केना और बेचा भी उस घेरे का हिस्सा बन जाते हैं और ‘चोर चोर’ चिल्लाने लगते हैं. एक दो बार ऐसा करके वो चुपके से भाग जाते हैं. चारों गाँव वाले रुकते हैं और इधर उधर देखते हुए ‘चोर चोर’ चिल्लाते हुए घेरा तोड़ देते है और फिर बाहर चले जाते हैं. केना और बेचा दूसरी तरफ से आते है)
बेचा: अब किस तरफ चाचू?
केना: उस तरफ.
बेचा: लेकिन उस तरफ तो नदी है.
केना: तो हम नदी में कूद जायेंगे.
बेचा: दिमाग खराब हो गया है क्या चाचू? डूब जायेंगे हम.
केना: और कोई रास्ता नहीं है. नदी की धारा के साथ बहेंगे. जिधर भी वो ले जाए.
बेचा: लेकिन…
केना: बक बक बंद कर और भाग अब.
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